Salary Hike – सरकारी नौकरी करने वालों के लिए एक अच्छी खबर सामने आ रही है। आठवें वेतन आयोग को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार फिटमेंट फैक्टर में बड़ा बदलाव हो सकता है। अभी जो फिटमेंट फैक्टर 1.92 है, वो बढ़कर 2.57 तक पहुंच सकता है। कुछ विशेषज्ञ तो यह भी कह रहे हैं कि यह 2.86 तक भी जा सकता है। इसका सीधा असर सैलरी पर पड़ेगा, जिससे वेतन लगभग दोगुने से भी ज्यादा बढ़ सकता है। इससे करीब एक करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को सीधा फायदा होगा।
आठवें वेतन आयोग की ताज़ा स्थिति
सरकार ने 16 जनवरी 2025 को आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी थी। हालांकि, अभी तक इसके सदस्यों के नाम सामने नहीं आए हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इस पर औपचारिक घोषणा हो सकती है। अनुमान है कि आयोग 2026 की दूसरी छमाही तक अपनी रिपोर्ट दे सकता है और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि देरी से उनके हितों पर असर पड़ रहा है और प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है।
महंगाई भत्ते का मूल वेतन में विलय
एक और अहम बदलाव यह होगा कि महंगाई भत्ता यानी डीए को अब मूल वेतन में मिला दिया जाएगा। पहले के वेतन आयोगों में भी ऐसा किया गया था, जिससे सैलरी की स्थिरता बनी रहती है। इस समय डीए 55% तक पहुंच चुका है, जिससे लेवल 1 के कर्मचारी का मूल वेतन ₹18,000 से बढ़कर करीब ₹27,900 हो गया है। जब इस बढ़े हुए वेतन पर नया फिटमेंट फैक्टर लागू होगा, तो निश्चित रूप से सैलरी में बड़ा उछाल आएगा। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि डीए मर्ज करने के बाद वृद्धि की प्रतिशत दर थोड़ी कम लग सकती है, लेकिन यह दीर्घकालिक रूप से फायदेमंद होगा।
कितनी बढ़ सकती है सैलरी?
अब सवाल ये उठता है कि सैलरी कितनी बढ़ेगी? अगर वर्तमान ₹18,000 के मूल वेतन पर 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लगाया जाए, तो नई सैलरी ₹46,260 के आसपास होगी। लेकिन अगर डीए मिलाकर नया मूल वेतन ₹27,900 हो जाता है, और उस पर 2.57 का फैक्टर लगे तो सैलरी ₹71,703 तक पहुंच सकती है। अगर 2.86 का फैक्टर लागू होता है तो सैलरी और भी ज्यादा, ₹79,794 तक जा सकती है। इससे कर्मचारियों की क्रय शक्ति तो बढ़ेगी ही, साथ ही उनका जीवन स्तर भी बेहतर होगा।
क्या चुनौतियां हैं आयोग के सामने?
आठवें वेतन आयोग को इस बार कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा। एक तरफ कर्मचारियों की उम्मीदें हैं, तो दूसरी ओर सरकार के पास बजट की सीमाएं भी हैं। बढ़ती महंगाई, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां और कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों को ध्यान में रखकर ही आयोग को संतुलन बनाना होगा। सिफारिशें ऐसी होनी चाहिए जो कर्मचारियों को भी संतुष्ट करें और सरकार के वित्तीय ढांचे को भी न बिगाड़ें।
कर्मचारियों की मांगें क्या हैं?
कर्मचारी संगठनों की तरफ से साफ कहा गया है कि न्यूनतम वेतन को ₹26,000 या उससे अधिक किया जाए। फिलहाल यह ₹18,000 है जो बढ़ती महंगाई को देखते हुए नाकाफी है। इसके अलावा पेंशनभोगियों की भी यही मांग है कि पेंशन में भी उसी अनुपात में वृद्धि हो और फॉर्मूले को भी थोड़ा सुधारा जाए। संगठनों का कहना है कि वेतन और पेंशन में उचित वृद्धि से कर्मचारियों का मनोबल और काम में रुचि दोनों बढ़ेंगे।
पिछले वेतन आयोगों से तुलना
अगर पिछले वेतन आयोगों को देखें तो सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू हुई थीं, जिससे लगभग 14% की औसत सैलरी बढ़ी थी। उस समय फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिसने न्यूनतम वेतन ₹7,000 से सीधे ₹18,000 कर दिया था। छठे वेतन आयोग में यह फैक्टर 1.86 था। इस बार उम्मीद है कि आयोग पहले से बेहतर सिफारिशें देगा और कर्मचारियों को और ज्यादा लाभ होगा।
आर्थिक असर भी पड़ेगा
सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर भी असर होगा। बाजार में मांग बढ़ेगी, जिससे व्यापार और निवेश को गति मिलेगी। खासकर रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर को इसका फायदा होगा। लेकिन साथ ही सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ेगा और महंगाई बढ़ने की भी संभावना रहेगी। इसलिए सरकार को बैलेंस बनाकर चलना होगा।
अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार आठवें वेतन आयोग की प्रक्रिया को कितनी तेजी से आगे बढ़ाती है। कर्मचारी चाहते हैं कि रिपोर्ट जल्दी आए और 1 जनवरी 2026 से इसे लागू किया जाए। इसके अलावा वे फिटमेंट फैक्टर को लेकर भी उम्मीदें लगाए बैठे हैं कि ये इस बार वाकई में उनके जीवन को बदल देने वाला हो।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसमें दी गई जानकारियां विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों के अनुमानों पर आधारित हैं। आठवें वेतन आयोग से जुड़ा कोई भी अंतिम निर्णय भारत सरकार की आधिकारिक अधिसूचना के आधार पर ही मान्य होगा। कृपया किसी भी निर्णय से पहले आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि जरूर करें।