Rent Agreement – अगर आप किसी नए शहर में पढ़ाई, नौकरी या फैमिली के साथ शिफ्ट हो रहे हैं और किराए पर घर लेने की सोच रहे हैं, तो एक बात समझ लीजिए – रेंट एग्रीमेंट सिर्फ एक कागज का टुकड़ा नहीं है, बल्कि आपकी सुरक्षा का कवच है। ये छोटी सी डॉक्यूमेंटेशन आपको बड़े-बड़े झंझटों से बचा सकती है। इसलिए चलिए जानते हैं कि रेंट एग्रीमेंट में किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
सिर्फ मौखिक समझौते पर न रहें भरोसा
“भरोसे का जमाना नहीं रहा” – ये लाइन रियल एस्टेट पर पूरी तरह लागू होती है। कई बार लोग मकान मालिक की बातों पर भरोसा करके बिना लिखित समझौते के ही शिफ्ट हो जाते हैं। लेकिन जब बात किराए में बढ़ोतरी या सिक्योरिटी डिपॉजिट की आती है, तो सब कुछ उल्टा पड़ सकता है। इसलिए हर बार स्टाम्प पेपर पर रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट बनवाएं और उसकी एक कॉपी खुद के पास रखें।
किराया, डिपॉजिट और एग्रीमेंट की अवधि
किराए की रकम, सिक्योरिटी डिपॉजिट, किराया देने की तारीख और एग्रीमेंट की अवधि – ये सब बातें स्पष्ट रूप से रेंट एग्रीमेंट में होनी चाहिए। अगर मकान मालिक किराया बढ़ाने की बात करता है, तो वो कितने प्रतिशत बढ़ाएगा और कितने समय बाद – यह सब पहले से लिखवाएं ताकि आगे कोई विवाद न हो। ज्यादातर मामलों में रेंट एग्रीमेंट 11 महीनों के लिए होता है।
बिजली-पानी और मेंटेनेंस कौन देगा?
यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर अक्सर विवाद हो जाता है। एग्रीमेंट में पहले ही तय कर लें कि बिजली, पानी, इंटरनेट, गैस और सोसाइटी मेंटेनेंस चार्ज कौन देगा। अगर बिजली का मीटर अलग नहीं है, तो बिल कैसे बांटा जाएगा – ये भी साफ-साफ लिखा होना चाहिए। बाद में किसी तरह की बहस से बचना है तो शुरुआत से ही सब क्लियर रखें।
मरम्मत और नुकसान की जिम्मेदारी
घर में कोई नल टपक रहा हो या पंखा खराब हो जाए – ऐसी छोटी मरम्मत की जिम्मेदारी किरायेदार की होती है, लेकिन दीवार में दरार आ जाए या सीलन जैसी बड़ी दिक्कत हो तो मकान मालिक को देखना होता है। एग्रीमेंट में इन जिम्मेदारियों को लेकर साफ-साफ लाइनें लिखवाएं। और हां, अगर आपके इस्तेमाल से कोई सामान खराब हुआ तो उसकी भरपाई का तरीका भी तय हो।
एग्जिट क्लॉज़ और नोटिस पीरियड
मान लीजिए कि आपको अचानक शहर छोड़ना पड़े, या मकान मालिक आपको जल्दी हटाना चाहता है – तो ऐसी स्थिति में क्या होगा? यही बताता है रेंट एग्रीमेंट का एग्जिट क्लॉज़। आमतौर पर नोटिस की अवधि एक महीने या दो महीने की होती है। अगर समय से पहले घर छोड़ा तो क्या सिक्योरिटी डिपॉजिट कटेगा या पूरी राशि वापस मिलेगी – ये सब पहले से तय कर लें।
पहचान प्रमाण और स्वामित्व की पुष्टि
एग्रीमेंट में दोनों पक्षों – यानी मकान मालिक और किरायेदार – के पहचान पत्रों का उल्लेख होना जरूरी है। आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी की कॉपी लगवाएं। साथ ही, मकान मालिक से यह भी पूछें कि क्या वे उस प्रॉपर्टी के असली मालिक हैं। इसके लिए प्रॉपर्टी डीड या टैक्स रसीद देख सकते हैं।
घर के फर्नीचर और सामान की लिस्ट
अगर आप फर्निश्ड या सेमी-फर्निश्ड घर ले रहे हैं, तो जो भी फर्नीचर, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, कूलर, पंखा या कोई अन्य चीज घर में है – उसकी एक लिस्ट एग्रीमेंट के साथ लगवाएं। और उसमें साफ तौर पर उनकी हालत का भी जिक्र करें। बेहतर होगा कि फोटो खींचकर रख लें ताकि चेकआउट के वक्त कोई विवाद न हो।
किराया देने का तरीका
कैश में किराया देने की बजाय UPI, बैंक ट्रांसफर या चेक से भुगतान करें ताकि आपका रिकॉर्ड बना रहे। एग्रीमेंट में इस बात का भी जिक्र करें कि अगर किराया देरी से जाता है तो क्या पेनल्टी लगेगी और कितनी? सब कुछ साफ-साफ लिखना ही आपकी सुरक्षा है।
आखिर में – क्यों जरूरी है एक सही रेंट एग्रीमेंट?
एक मजबूत और पारदर्शी रेंट एग्रीमेंट आपको किसी भी कानूनी या व्यक्तिगत झगड़े से बचाता है। आप शांत मन से घर में रह सकते हैं, बिना इस डर के कि मकान मालिक अचानक किराया बढ़ा देगा या बाहर निकाल देगा। तो जब भी आप नया घर लें, तो सबसे पहले एक अच्छा रेंट एग्रीमेंट बनवाएं।
Disclaimer
यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किराएदारी से जुड़े कानून राज्य और शहर के हिसाब से अलग हो सकते हैं। किसी कानूनी सलाह की आवश्यकता होने पर कृपया योग्य अधिवक्ता से संपर्क करें। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर लिए गए किसी निर्णय की ज़िम्मेदारी नहीं लेते।