सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं मिलता मालिकाना हक – ये दस्तावेज है सबसे जरूरी Property Registry

By Prerna Gupta

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Property Registry

Property Registry – अगर आपने कभी प्रॉपर्टी खरीदी है या खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपने “रजिस्ट्री” शब्द कई बार सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ रजिस्ट्री होने से कोई भी जमीन या घर आपका नहीं हो जाता? जी हां, असली मालिकाना हक साबित करने के लिए और भी जरूरी दस्तावेज़ होते हैं, जिनकी जानकारी हर प्रॉपर्टी मालिक या खरीदार को होनी चाहिए।

असली मालिकाना हक के लिए जरूरी दस्तावेज़

जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो सिर्फ सेल डीड या रजिस्ट्री होना काफी नहीं होता। आपको यह साबित करना होता है कि आप उस संपत्ति के कानूनी हकदार हैं। इसके लिए जरूरी है कि आपके पास कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ हों – जैसे:

  • सेल डीड (Sale Deed) – यह सबसे ज़रूरी दस्तावेज़ होता है जो बताता है कि प्रॉपर्टी किसके नाम ट्रांसफर हुई है।
  • म्युटेशन सर्टिफिकेट – यह स्थानीय सरकारी रिकॉर्ड में नाम चढ़ाने के लिए ज़रूरी होता है।
  • प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें – इससे साबित होता है कि आप प्रॉपर्टी के लिए नियमित टैक्स भर रहे हैं।
  • पुराने मालिकाना दस्तावेज़ – इससे पता चलता है कि प्रॉपर्टी पहले किसके नाम थी और उसमें कोई विवाद तो नहीं।

सिर्फ रजिस्ट्री क्यों नहीं काफी?

कई बार लोग सोचते हैं कि रजिस्ट्री करवा ली, मतलब अब प्रॉपर्टी उनकी हो गई। लेकिन असल में, रजिस्ट्री सिर्फ एक कदम है – संपत्ति के कानूनी ट्रांसफर का रिकॉर्ड। असली मालिकाना हक साबित करने के लिए आपको बाकी दस्तावेज़ भी दिखाने पड़ सकते हैं, खासकर अगर कोई विवाद खड़ा हो जाए या आप लोन लेना चाहें।

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कैसे करें मालिकाना अधिकार की पुष्टि?

अगर आप जानना चाहते हैं कि आपके पास जो प्रॉपर्टी है, वो वाकई आपके नाम है या नहीं, तो इन स्टेप्स को फॉलो करें:

  1. भूमि रिकॉर्ड ऑनलाइन चेक करें – हर राज्य की सरकारी वेबसाइट होती है जहां से आप भूमि रिकॉर्ड चेक कर सकते हैं।
  2. प्रॉपर्टी टैक्स रसीद रखें – ये दिखाता है कि आप संपत्ति के मौजूदा मालिक हैं।
  3. पुराने दस्तावेज़ इकट्ठा करें – जैसे कि पिछले मालिकों की रजिस्ट्री कॉपी, टाइटल डीड आदि।
  4. वकील से जांच कराएं – एक प्रॉपर्टी वकील आपको साफ-साफ बता सकता है कि दस्तावेज़ पूरे हैं या नहीं।

मालिकाना हक जांचने का पूरा प्रोसेस

  • दस्तावेज़ इकट्ठा करें – रजिस्ट्री, म्युटेशन, टैक्स रसीदें
  • वकील से वेरिफिकेशन करवाएं
  • सरकारी विभाग से रिकॉर्ड कन्फर्म करें
  • नामांतरण कराएं (Mutation Process)
  • विवाद होने पर तुरंत लीगल स्टेप्स लें

क्यों जरूरी हैं ये दस्तावेज़?

  • कानूनी सुरक्षा मिलती है – भविष्य में कोई आप पर दावा नहीं ठोक सकता।
  • लोन लेना आसान होता है – बैंक तभी लोन देता है जब सब कागज़ सही हों।
  • बिक्री में परेशानी नहीं होती – सही दस्तावेज़ होने पर आप प्रॉपर्टी आसानी से बेच सकते हैं।

क्या रजिस्ट्री के बाद भी कुछ बचता है?

बिलकुल। रजिस्ट्री के बाद आपको नामांतरण (Mutation) कराना होता है, जिससे नगर निगम या ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में भी आपकी संपत्ति के मालिक के रूप में एंट्री हो जाती है। इससे टैक्स रसीदें आपके नाम से बनती हैं और मालिकाना हक का आधिकारिक रिकॉर्ड तैयार होता है।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। संपत्ति से जुड़ा कोई भी कानूनी फैसला लेने से पहले किसी योग्य वकील या प्रॉपर्टी एक्सपर्ट से सलाह ज़रूर लें। दस्तावेज़ों की स्थिति और नियम राज्य अनुसार बदल सकते हैं, इसलिए सरकारी पोर्टल या अधिकारियों से आधिकारिक जानकारी जरूर प्राप्त करें।

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