NHAI Toll Plaza Rule – अगर आप भी रोज़ हाईवे पर सफर करते हैं और हर थोड़ी-थोड़ी दूर पर टोल प्लाजा देखकर परेशान हो जाते हैं, तो आपके लिए खुशखबरी है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने एक नया नियम लागू किया है, जो यात्रियों के लिए बहुत बड़ी राहत लेकर आया है। अब देशभर के नेशनल हाईवे पर दो टोल प्लाजा के बीच कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी रखना अनिवार्य होगा। इससे न सिर्फ बेवजह का टोल देने से छुटकारा मिलेगा, बल्कि सफर की लागत भी कम होगी।
नया नियम क्या कहता है?
NHAI ने इस बात को सुनिश्चित किया है कि अब दो टोल प्लाजा के बीच की न्यूनतम दूरी 60 किलोमीटर से कम नहीं होगी। यह नियम न केवल नए बनने वाले नेशनल हाईवे पर लागू होगा, बल्कि पहले से मौजूद हाईवे पर भी इसका पालन किया जाएगा। इसका सीधा फायदा उन यात्रियों को होगा जो रोजाना यात्रा करते हैं या ट्रांसपोर्टिंग के व्यवसाय में हैं। अब उन्हें छोटी दूरी पर बार-बार टोल नहीं देना पड़ेगा।
क्यों लागू किया गया ये नियम?
पिछले कुछ समय से यात्रियों की ओर से शिकायतें मिल रही थीं कि 30-40 किलोमीटर की दूरी तय करने पर भी उन्हें दो टोल प्लाजा का भुगतान करना पड़ता है। इससे यात्रा महंगी हो जाती थी, खासकर उनके लिए जो रोजाना अप-डाउन करते हैं। ऑफिस जाने वाले लोग, ट्रक ड्राइवर, कैब सर्विस और ट्रांसपोर्ट कंपनियों पर इसका बड़ा असर पड़ता था। NHAI ने इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए ये नया नियम बनाया है ताकि सफर की लागत घटे और सिस्टम पारदर्शी बने।
यात्रियों की बातों से समझिए असर
गाजियाबाद से मुरादाबाद तक रोजाना ट्रक चलाने वाले राकेश कुमार का कहना है कि उन्हें 130 किलोमीटर के सफर में तीन टोल प्लाजा पर भुगतान करना पड़ता था। लेकिन अब संभावना है कि एक टोल हट जाए। इसी तरह, भोपाल से इंदौर रोज अप-डाउन करने वाले एक निजी कर्मचारी संजय मिश्रा बताते हैं कि हर दिन ₹200 से ज़्यादा टोल खर्च होता था, जो अब इस नियम के चलते घट सकता है।
पुराने टोल प्लाजा का क्या होगा?
अब सवाल उठता है कि क्या पहले से बने टोल प्लाजा में कोई बदलाव होगा? इसका जवाब है – हां। NHAI ने साफ कर दिया है कि जिन स्थानों पर दो टोल प्लाजा के बीच की दूरी 60 किलोमीटर से कम है, वहां समीक्षा की जाएगी। अगर नियम का उल्लंघन पाया गया, तो या तो एक टोल प्लाजा को बंद किया जाएगा या उसमें जरूरी बदलाव किए जाएंगे। हालांकि यह काम चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा ताकि सरकार के राजस्व पर भी असर न पड़े और लोगों को राहत भी मिले।
इस नियम से क्या होंगे फायदे?
इस नियम से सबसे बड़ा फायदा तो आम लोगों और ट्रांसपोर्टर्स को मिलेगा। रोजाना यात्रा करने वालों के लिए यह नियम किसी तोहफे से कम नहीं है। टोल का खर्च कम होगा, जिससे जेब पर बोझ घटेगा। साथ ही ट्रैफिक जाम और अनावश्यक रुकावटों से भी छुटकारा मिलेगा। कम टोल प्लाजा का मतलब है कि यात्रा कम समय में पूरी होगी और सफर ज्यादा स्मूद बनेगा। ट्रांसपोर्ट कंपनियों की ऑपरेशनल लागत घटेगी, जिससे लॉजिस्टिक सेक्टर को भी फायदा होगा।
राज्यवार आंकड़े क्या कहते हैं?
अगर हम राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में टोल प्लाजा के बीच की औसत दूरी अभी भी 30 से 55 किलोमीटर के बीच है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में यह औसत 35 किलोमीटर है, वहीं पंजाब में यह केवल 30 किलोमीटर है। ऐसे में इन राज्यों में नियम लागू होने से सबसे ज्यादा बदलाव दिखेगा।
अब आगे क्या?
NHAI ने जानकारी दी है कि इस नियम को पूरे देश में धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। जहां टोल प्लाजा के बीच की दूरी कम है, वहां सर्वे शुरू हो चुका है। साथ ही भविष्य की सभी नई हाईवे परियोजनाओं में टोल प्लानिंग करते समय इस 60 किलोमीटर की न्यूनतम दूरी का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
यह नया नियम यात्रियों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। रोजाना ट्रैवल करने वालों से लेकर ट्रांसपोर्ट कारोबारियों तक, सभी को इससे राहत मिलेगी। ये कदम न सिर्फ खर्च घटाएगा, बल्कि टोल सिस्टम को भी बेहतर और पारदर्शी बनाएगा।
Disclaimer
यह लेख NHAI द्वारा घोषित नियमों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। नीति में समय-समय पर बदलाव संभव हैं, इसलिए सफर से पहले संबंधित सरकारी वेबसाइट या टोल ऑपरेटर से आधिकारिक जानकारी ज़रूर प्राप्त करें।