B.Ed Course Rules – अगर आप शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं और बीएड कोर्स करने की तैयारी में हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। हाल ही में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी NCTE ने बीएड कोर्स को लेकर कुछ बड़े बदलाव किए हैं। इन नए नियमों और गाइडलाइन का मकसद शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना और छात्रों को ज्यादा व्यावहारिक और बहुआयामी शिक्षा मुहैया कराना है। अब बीएड की पढ़ाई पहले जैसी नहीं रह गई है, इसमें कई जरूरी फेरबदल किए गए हैं, जो हर उम्मीदवार को जानना चाहिए।
सिर्फ बीएड कॉलेज नहीं चलेंगे, मल्टी-डिसीप्लिनरी संस्थान ही मान्य होंगे
अब सबसे बड़ा बदलाव ये हुआ है कि बीएड कोर्स अब सिर्फ उन्हीं कॉलेजों में होगा, जो मल्टी-डिसीप्लिनरी होंगे। मतलब, जहां बीएड के साथ-साथ BA, B.Sc, B.Com जैसे दूसरे डिग्री कोर्स भी चलते हों। अब ऐसे कॉलेज जो सिर्फ B.Ed कोर्स चला रहे थे, यानी Single Purpose B.Ed कॉलेज, उन्हें आगे NCTE से मान्यता नहीं मिलेगी। जब तक वे खुद को मल्टी-डिसीप्लिनरी संस्थान के रूप में नहीं बदलते, तब तक वे नए एडमिशन नहीं ले सकेंगे। इसका सीधा असर उन छात्रों पर पड़ेगा जो छोटे शहरों या कस्बों में सिर्फ बीएड कॉलेज में एडमिशन लेने की सोच रहे थे।
अन्य विषयों की जानकारी भी होगी जरूरी
इस बदलाव का मकसद ये है कि जो छात्र शिक्षक बनने आ रहे हैं, उन्हें सिर्फ किताबों तक सीमित न रखा जाए। उन्हें अन्य विषयों की भी समझ हो, ताकि वे एक बेहतर सोच के साथ शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखें। जब एक छात्र दूसरे विषयों के छात्रों के साथ पढ़ता है, तो उसे एक व्यापक नजरिया मिलता है जो आगे चलकर उसके शिक्षण कार्य में बहुत मददगार होता है।
छोटे बीएड कॉलेज होंगे मर्ज, संसाधनों की होगी साझेदारी
एक और बड़ा बदलाव ये हुआ है कि जो छोटे B.Ed कॉलेज तीन से दस किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं, उन्हें अब आसपास के बड़े कॉलेजों में मर्ज कर दिया जाएगा। यानी अब ये छोटे कॉलेज स्वतंत्र रूप से बीएड कोर्स नहीं चला पाएंगे। इससे होगा ये कि जो कॉलेज संसाधनों की कमी से जूझ रहे थे, वे बड़े संस्थानों से जुड़कर लाइब्रेरी, शिक्षक, लैब्स और अन्य सुविधाओं का बेहतर इस्तेमाल कर सकेंगे। छात्रों को भी एक समृद्ध और पूर्ण शैक्षणिक माहौल मिलेगा, जो पहले इन छोटे कॉलेजों में संभव नहीं हो पाता था।
सीटें सीमित, अब सिर्फ 50 छात्रों को मिलेगा दाखिला
एडमिशन प्रक्रिया में भी बदलाव हुआ है। अब हर B.Ed कोर्स में सिर्फ 50 छात्रों को ही दाखिला मिलेगा। पहले कई कॉलेजों में सीटों की संख्या बहुत ज्यादा होती थी, जिससे पढ़ाई पर फोकस करना मुश्किल हो जाता था। लेकिन अब सीमित संख्या में छात्रों को एडमिशन मिलेगा, जिससे हर छात्र पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकेगा और पढ़ाई की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
2030 तक सभी कॉलेज होंगे मल्टी-डिसीप्लिनरी
NCTE का लक्ष्य है कि साल 2030 तक देश के सभी बीएड कॉलेज मल्टी-डिसीप्लिनरी संस्थान बन जाएं। इसके लिए राज्यों को दिशा-निर्देश भी भेजे जा चुके हैं और धीरे-धीरे इसे लागू किया जा रहा है। आने वाले समय में B.Ed करने वाले छात्रों को केवल टीचिंग नहीं, बल्कि सामाजिक, तकनीकी और प्रोफेशनल विषयों की भी जानकारी दी जाएगी, जिससे उनकी सोच और क्षमता में विविधता आए।
सिर्फ डिग्री से नहीं, व्यवहारिक ज्ञान से बनेंगे बेहतर शिक्षक
असल में NCTE का मानना है कि सिर्फ डिग्री देने से कोई भी छात्र अच्छा शिक्षक नहीं बन सकता। जब तक उसे व्यवहारिक अनुभव और अच्छे संसाधनों वाला शैक्षणिक माहौल न मिले, तब तक वो अपने प्रोफेशन में उत्कृष्टता हासिल नहीं कर सकता। यही वजह है कि अब मल्टी-डिसीप्लिनरी शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है, ताकि छात्र एक बहुआयामी दृष्टिकोण के साथ शिक्षक बनें।
नया ढांचा देगा बेहतर शिक्षक
इन सारे बदलावों का मकसद यही है कि देश में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारा जा सके। जो छात्र सिर्फ डिग्री के लिए बीएड करते थे, अब उन्हें एक मजबूत और बेहतर ढांचा मिलेगा जिसमें वे एक संपूर्ण शिक्षक बन सकें। शिक्षा अब केवल पाठ्यपुस्तकों की जानकारी तक सीमित नहीं रह गई है, इसमें व्यावहारिक ज्ञान, नैतिक मूल्यों और तकनीकी समझ का होना भी जरूरी है। अगर आप भी बीएड करने की योजना बना रहे हैं, तो इन नए नियमों को जान लेना बेहद जरूरी है। अब कॉलेज चुनते समय आपको देखना होगा कि वो मल्टी-डिसीप्लिनरी है या नहीं, कितनी सीटें हैं, और क्या वह NCTE के नए दिशा-निर्देशों का पालन कर रहा है या नहीं। आने वाले समय में टीचर बनने की राह अब पहले से ज्यादा व्यवस्थित और गुणवत्तापूर्ण होने वाली है।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। बीएड कोर्स या एडमिशन प्रक्रिया से जुड़ी सटीक जानकारी के लिए संबंधित कॉलेज या NCTE की आधिकारिक वेबसाइट से संपर्क करना उचित रहेगा। किसी भी निर्णय से पहले आधिकारिक स्रोतों की पुष्टि ज़रूरी है।