Ancestral Property Rules – आजकल प्रॉपर्टी की कीमतें हर दिन आसमान छू रही हैं। ऐसे में लोग अपनी ज़मीन-जायदाद बेचकर अच्छा-खासा मुनाफा कमाना चाहते हैं। लेकिन बढ़ती कीमतों के साथ-साथ प्रॉपर्टी से जुड़े विवाद भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, खासतौर पर पैतृक संपत्ति को लेकर। कोर्ट में हर दिन ऐसे कई मामले सामने आते हैं जहां परिवार के सदस्य आपस में प्रॉपर्टी को लेकर उलझे होते हैं। अगर आप भी पैतृक संपत्ति बेचने की तैयारी कर रहे हैं, तो ज़रा रुकिए और इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए। यहां हम आपको बताएंगे कि पैतृक संपत्ति बेचने से जुड़े वो नियम जो हर किसी को पता होने चाहिए, वरना बाद में पछताना पड़ सकता है।
क्या होती है पैतृक संपत्ति?
भारत में ज़मीन या प्रॉपर्टी को दो तरह से अर्जित किया जा सकता है। पहली वो जो आप खुद खरीदते हैं या आपको किसी ने गिफ्ट, दान या त्याग के जरिए दी हो। इस तरह की संपत्ति को स्व-अर्जित संपत्ति कहा जाता है, यानी Self-Acquired Property। अब दूसरी तरह की संपत्ति आती है जिसे आपके पिता ने अपने पिता या पूर्वजों से प्राप्त किया हो। इसे ही पैतृक संपत्ति कहा जाता है यानी Ancestral Property।
पैतृक संपत्ति वो होती है जो कम से कम चार पीढ़ियों से परिवार में चली आ रही हो—जैसे आपके परदादा से आपके दादा, फिर आपके पिता और फिर आप तक। ये वो संपत्ति होती है जिस पर आपका जन्म से ही अधिकार बन जाता है, चाहे आपने इसमें कुछ भी इन्वेस्ट न किया हो। इस वजह से पैतृक संपत्ति को बेचने के नियम स्व-अर्जित संपत्ति से थोड़े अलग और सख्त होते हैं।
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कौन बेच सकता है पैतृक संपत्ति?
अब सवाल आता है कि अगर ये संपत्ति आपके पिता या दादा के नाम है तो क्या वो इसे अकेले बेच सकते हैं? जवाब है – नहीं। पैतृक संपत्ति पर सिर्फ मालिक का ही नहीं, बल्कि परिवार की चार पीढ़ियों का हक होता है। यानी अगर आपके दादा के नाम पैतृक संपत्ति है तो आपके पिता, आप, और अगर आपके बच्चे हैं तो उनका भी उस पर अधिकार होगा।
इसलिए इस तरह की संपत्ति को बेचने के लिए सभी हितधारकों यानी stakeholders की सहमति ज़रूरी होती है। इसमें बेटियां भी शामिल होती हैं। चाहे वे शादीशुदा हों या ना हों, कानून के मुताबिक उनके पास भी बराबर का हक होता है। अगर किसी एक की भी सहमति नहीं है, तो वो व्यक्ति बाद में कोर्ट जाकर बिक्री को चुनौती दे सकता है।
बिना सहमति बेच दी तो क्या होगा?
अगर किसी ने पैतृक संपत्ति को बाकी सदस्यों की सहमति के बिना बेच दिया, तो ये गैरकानूनी माना जाएगा। ऐसे में बाकी वारिस कोर्ट में केस कर सकते हैं और बिक्री पर रोक लगवा सकते हैं। कई बार तो कोर्ट संपत्ति की बिक्री को रद्द भी कर देता है।
अगर आपने पहले ही सारा प्रोसेस लीगल तरीके से और सभी की सहमति से किया होता तो इस तरह की परेशानी नहीं होती। इसीलिए ज़रूरी है कि संपत्ति बेचने से पहले हर व्यक्ति से लिखित सहमति ली जाए और जरूरी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की जाएं।
पैतृक संपत्ति बेचने से पहले क्या-क्या ध्यान रखें?
सबसे पहले ये तय कर लें कि वो संपत्ति सच में पैतृक है या स्व-अर्जित। अगर वो संपत्ति आपके पिता ने खुद खरीदी है तो उन्हें उसे बेचने का पूरा हक है। लेकिन अगर वो संपत्ति उनके दादा या परदादा से मिली है तो उसे बेचने के लिए आपको सभी वारिसों की सहमति चाहिए।
इसके अलावा, सभी सहमति देने वाले सदस्यों के दस्तावेज जैसे पहचान पत्र, वारिस प्रमाण पत्र और अन्य ज़रूरी पेपर्स इकट्ठा कर लें। उसके बाद ही किसी वकील की मदद से संपत्ति को बेचने की प्रक्रिया शुरू करें।
पैतृक संपत्ति को बेचना जितना फायदेमंद लग सकता है, उतना ही कानूनी और पारिवारिक रूप से जटिल भी हो सकता है। अगर आप सभी नियमों और प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेंगे, तो भविष्य में किसी तरह की दिक्कत या कानूनी झंझट से बचा जा सकता है।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह नहीं है। संपत्ति से जुड़े मामलों में कोई भी निर्णय लेने से पहले किसी योग्य वकील या विधिक सलाहकार की राय ज़रूर लें।