Cheque Bounce – आज के डिजिटल जमाने में भी चेक एक भरोसेमंद दस्तावेज माना जाता है। बड़े लेनदेन, प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री या बिजनेस डील में लोग अब भी चेक का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह एक लिखित और कानूनी रूप से मान्य माध्यम होता है। लेकिन जब किसी कारण से बैंक चेक को अस्वीकार कर देता है, तो इसे “चेक बाउंस” कहा जाता है। यह सिर्फ आर्थिक परेशानी नहीं बल्कि भारतीय कानून में एक गंभीर अपराध माना जाता है, जिसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है।
चेक बाउंस के आम कारण
चेक बाउंस होने के पीछे कई वजहें होती हैं, लेकिन सबसे आम कारण है खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना। अगर किसी व्यक्ति के खाते में उतनी रकम नहीं है जितनी चेक में लिखी गई है, तो बैंक सीधे उसे बाउंस कर देता है। इसके अलावा, अगर चेक पर हस्ताक्षर बैंक में दर्ज नमूने से मेल नहीं खाते या तारीख गलत है, तो भी बैंक भुगतान रोक देता है। कभी-कभी चेक तीन महीने से पुराना हो जाने पर भी बाउंस हो सकता है। तकनीकी गलतियाँ जैसे चेक पर कटाई-पिटाई या अस्पष्ट लिखावट भी परेशानी पैदा करती हैं। हालांकि, कानूनी तौर पर केवल अपर्याप्त राशि के मामलों में ही सजा का प्रावधान है।
भारतीय कानून में क्या है प्रावधान
भारत में चेक बाउंस से जुड़े मामलों को नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 के तहत संभाला जाता है। यह कानून चेक बाउंस को “अर्ध-आपराधिक अपराध” यानी ऐसा अपराध मानता है जिसमें आर्थिक और आपराधिक दोनों तरह की सजा हो सकती है। पीड़ित को न सिर्फ अपनी राशि वापस पाने का अधिकार होता है, बल्कि आरोपी को जेल की सजा भी हो सकती है। 2025 में इस एक्ट में संशोधन कर नियमों को और कड़ा किया गया है ताकि वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता और भरोसा बना रहे।
2025 के नए नियमों में क्या बदला
1 अप्रैल 2025 से लागू नए संशोधनों के बाद अब चेक बाउंस के मामलों में दो साल तक की जेल की सजा दी जा सकती है। पहले यह सीमा एक साल थी। इसके साथ ही आर्थिक जुर्माने को भी चेक राशि के दोगुने तक बढ़ा दिया गया है। सरकार का मकसद साफ है — लोग चेक जारी करते समय ज्यादा जिम्मेदार बनें और बेवजह या बिना बैलेंस के चेक न दें।
सजा और कानूनी परिणाम
अगर कोई व्यक्ति चेक बाउंस का दोषी पाया जाता है, तो उसे दो साल तक की जेल या चेक की राशि के दोगुने तक का जुर्माना, या दोनों सजा दी जा सकती हैं। पहली बार गलती करने वालों को कोर्ट आमतौर पर आर्थिक दंड देकर छोड़ देता है, लेकिन अगर कोई बार-बार ऐसा करता है, तो उसे जेल भी हो सकती है। लगातार चेक बाउंस करने पर बैंक ऐसे खातों को फ्रीज कर सकता है या चेक बुक जारी करने से मना कर सकता है।
कानूनी प्रक्रिया कैसे चलती है
जब कोई चेक बाउंस होता है, तो सबसे पहले पायी (जिसे चेक दिया गया है) को 30 दिनों के भीतर कानूनी नोटिस भेजना होता है। इसके बाद ड्रा (जिसने चेक जारी किया) को 15 दिन का वक्त दिया जाता है राशि चुकाने के लिए। अगर वह तय समय में भुगतान नहीं करता, तो अगले 30 दिनों में कोर्ट में केस दाखिल किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में देरी करने से मामला कमजोर पड़ सकता है, इसलिए टाइमलाइन का ध्यान रखना जरूरी है।
बैंकों की नई जिम्मेदारी
RBI ने नए नियमों में बैंकों की भूमिका भी और सख्त की है। अब जब कोई चेक बाउंस होता है, तो बैंक को 24 घंटे के भीतर ही SMS और ईमेल के ज़रिए दोनों पक्षों को सूचित करना होगा। साथ ही, चेक बाउंस की जानकारी RBI के सेंट्रल डेटाबेस में दर्ज की जाएगी ताकि बार-बार चेक बाउंस करने वालों को ट्रैक किया जा सके। इससे वित्तीय सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जीवाड़े कम होंगे।
अब ऑनलाइन दर्ज की जा सकती है शिकायत
पहले चेक बाउंस का मामला कोर्ट में जाकर दर्ज कराना पड़ता था, लेकिन अब यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हो गई है। पीड़ित व्यक्ति ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज कर सकता है। इसके लिए चेक की फोटो, बैंक का रिटर्न मेमो और कानूनी नोटिस की प्रति अपलोड करनी होती है। यह कदम खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो कोर्ट जाने में सक्षम नहीं हैं या दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं।
चेक बाउंस से बचने के आसान उपाय
अगर आप चेक का इस्तेमाल करते हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। हमेशा यह सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त बैलेंस मौजूद हो। चेक पर तारीख, राशि और नाम साफ-साफ लिखें और हस्ताक्षर बैंक में दर्ज नमूने के अनुसार ही करें। चेक पर किसी तरह की कटाई या पेन से बदलाव न करें क्योंकि बैंक ऐसे चेक को अस्वीकार कर सकता है। अगर भुगतान करने में दिक्कत है, तो पहले ही प्राप्तकर्ता को सूचित कर दें ताकि विवाद से बचा जा सके।
चेक बाउंस के सामाजिक और व्यावसायिक असर
चेक बाउंस सिर्फ कानूनी परेशानी नहीं है, बल्कि इससे व्यक्ति की साख पर भी असर पड़ता है। बिजनेस में ऐसे व्यक्ति पर भरोसा कम हो जाता है और पार्टनर या ग्राहक दूरी बना लेते हैं। बैंक भी हर बाउंस पर 100 से 750 रुपये तक का शुल्क लगाता है। अगर तीन बार चेक बाउंस होता है, तो बैंक खाता अस्थायी रूप से फ्रीज कर सकता है। बार-बार ऐसा होने पर बैंक भविष्य में चेक बुक जारी करने से भी मना कर सकता है।
अगर नोटिस मिले तो क्या करें
अगर आपको चेक बाउंस का नोटिस मिला है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। तुरंत पायी से संपर्क करें और कोशिश करें कि मामला आपसी समझदारी से सुलझ जाए। अगर आर्थिक कठिनाई के कारण भुगतान नहीं हो सका, तो जल्द से जल्द राशि चुकाने की व्यवस्था करें। साथ ही, किसी अनुभवी वकील से सलाह लें ताकि आप कानूनी दायरे में सही कदम उठा सकें।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसे किसी भी कानूनी सलाह के रूप में न लें। चेक बाउंस के मामलों में कानून जटिल हो सकते हैं, इसलिए किसी भी कानूनी कार्रवाई से पहले विशेषज्ञ वकील से सलाह अवश्य लें।