प्रॉपर्टी खरीदने से पहले ये दस्तावेज़ जरूर जांच लें, वरना हो सकती है बड़ी परेशानी! Property Ownership Documents

By Prerna Gupta

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Property Ownership Documents

Property Ownership Documents – घर खरीदना या ज़मीन लेना किसी भी इंसान के लिए बहुत बड़ा फैसला होता है। इसमें मेहनत की कमाई लगती है, इसलिए ये जरूरी है कि कोई भी कानूनी झोल न रहे। बहुत सारे लोग सोचते हैं कि “बस रजिस्ट्री हो गई, मतलब प्रॉपर्टी अपनी हो गई”, लेकिन असल में मालिकाना हक सिर्फ एक दस्तावेज़ से साबित नहीं होता। चलिए आपको आसान भाषा में समझाते हैं कि कौन-कौन से जरूरी कागज़ रखने चाहिए, ताकि आपकी प्रॉपर्टी पूरी तरह सुरक्षित रहे।

सबसे जरूरी दस्तावेज़ – सेल डीड (Sale Deed)

जब आप कोई संपत्ति खरीदते हैं, तो Sale Deed सबसे जरूरी डॉक्यूमेंट होता है। ये प्रूफ होता है कि आपने प्रॉपर्टी को वैध तरीके से खरीदा है और ये रजिस्ट्री ऑफिस में रजिस्टर्ड होता है। ध्यान रहे – बिना रजिस्ट्री सिर्फ एग्रीमेंट से कुछ साबित नहीं होता।

Mutation Certificate भी है बहुत जरूरी

सेल डीड के बाद अगला जरूरी स्टेप होता है Mutation Certificate लेना। इसका मतलब है कि सरकार के रिकॉर्ड में आपके नाम पर प्रॉपर्टी ट्रांसफर हो गई है। इसे नगर निगम या पंचायत ऑफिस से बनवाया जाता है और इसके जरिए प्रॉपर्टी टैक्स भी आपके नाम पर अपडेट होता है।

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Property Tax की रसीद और पुराने दस्तावेज़

हर साल जो प्रॉपर्टी टैक्स भरते हैं, उसकी रसीद भी संभाल कर रखनी चाहिए। ये दिखाता है कि आप नियमित रूप से प्रॉपर्टी का मालिकाना जिम्मा निभा रहे हैं। साथ ही पुराने मालिकों के दस्तावेज़, पावर ऑफ अटॉर्नी (अगर कोई है), या पहले के एग्रीमेंट भी संभाल कर रखें।

कैसे करें असली मालिक की पुष्टि?

कोई भी संपत्ति खरीदने से पहले इन बातों का ध्यान रखें:

  • भूलेख या राज्य सरकार की land record website पर जाकर मालिकाना हक चेक करें।
  • प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें चेक करें।
  • पिछले मालिक के कागज़ देखें – ये बहुत जरूरी है।
  • एक अच्छे वकील से सलाह जरूर लें, खासकर अगर आपको किसी भी दस्तावेज़ पर शक हो।
  • किसी भी एजेंसी या ब्रोकर के भरोसे न रहें – खुद सरकारी रिकॉर्ड से पुष्टि करें।

मालिकाना हक की पुष्टि में कितना वक्त लगता है?

प्रॉपर्टी के पेपर वेरिफाई करवाने और सब कुछ सही तरीके से कराने में आमतौर पर यह टाइमलाइन लगती है:

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  • दस्तावेज़ जमा करना – 2-3 हफ्ते
  • वेरिफिकेशन – 4 हफ्ते
  • वकील से जांच – 1-2 हफ्ते
  • सरकारी रिकॉर्ड अपडेट – 3-4 हफ्ते
  • क्लोजिंग व फाइनल साइनिंग – 1 हफ्ता

यानि टोटल मिलाकर लगभग 2 महीने का वक्त लग सकता है, लेकिन ये आपकी जिंदगी की सबसे सुरक्षित डील बन जाती है।

दस्तावेज़ अपडेट रखना क्यों जरूरी है?

कई बार हम प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं, लेकिन उसके बाद सालों तक कोई पेपर चेक नहीं करते। ये आदत सही नहीं है। हर साल कम से कम एक बार सारे दस्तावेज़ों की स्थिति चेक करें – म्युटेशन हो चुका है या नहीं, टैक्स भर रहे हैं या नहीं, कोई नोटिस तो नहीं आया।

क्यों जरूरी है मालिकाना हक के सभी दस्तावेज़?

  • बेचना हो तो आसान: सही कागज़ होने पर रिसेल करना आसान होता है।
  • कोई कानूनी खतरा नहीं: कोई भी कोर्ट केस या विवाद नहीं झेलना पड़ता।
  • बैंक लोन में भी फायदा: बैंक तभी लोन देगा जब पेपर क्लियर हों।
  • सिक्योर फ्यूचर: आपकी संपत्ति पूरी तरह सुरक्षित रहेगी।

Disclaimer:

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यह लेख आम नागरिकों को जानकारी देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी पब्लिक डोमेन और प्रॉपर्टी संबंधित सामान्य प्रक्रियाओं पर आधारित है। किसी संपत्ति से जुड़ा कानूनी फैसला लेने से पहले संबंधित राज्य के भूमि रिकॉर्ड पोर्टल और किसी प्रमाणित वकील से सलाह अवश्य लें। दस्तावेज़ों की प्रक्रिया समय और स्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।

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