Old Pension Scheme – पेंशन सरकारी कर्मचारियों के लिए सिर्फ सेवानिवृत्ति के बाद की आमदनी नहीं होती, बल्कि यह उनकी आगे की जिंदगी को सुरक्षित करने का एक मजबूत आधार भी होती है। पिछले कुछ सालों से पुरानी पेंशन योजना (OPS) को वापस लाने की मांग जोर पकड़ रही थी, खासकर शिक्षकों के बीच। अब इस मांग को मानते हुए सरकार ने कुछ राज्यों में शिक्षकों के लिए OPS को फिर से लागू करने का बड़ा फैसला लिया है। यह फैसला लाखों शिक्षकों के लिए राहत लेकर आया है और उनके लंबे संघर्ष की एक बड़ी जीत भी माना जा रहा है।
पुरानी पेंशन योजना (OPS) क्या है?
OPS में सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उनकी आखिरी तनख्वाह के आधार पर हर महीने एक निश्चित पेंशन मिलती है। इसमें वेतन का लगभग 50% हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता है और साथ ही महंगाई भत्ते (DA) का भी जुड़ाव होता है। इसके अलावा, यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उनका परिवार भी पेंशन का लाभ उठा सकता है। इस पूरी व्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार पर होती है। हालांकि, 2004 में केंद्र सरकार ने OPS को बंद कर दिया था और उसकी जगह नई पेंशन योजना (NPS) लाई गई थी, जिसमें पेंशन राशि बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर होती है और कोई निश्चित गारंटी नहीं होती।
कौन-कौन से शिक्षक OPS का लाभ उठा सकेंगे?
सबसे पहले वे शिक्षक जो 1 जनवरी 2004 से पहले नियुक्त हुए थे, उन्हें OPS के तहत पहले से ही पेंशन मिल रही थी, लेकिन कई राज्यों में तकनीकी कारणों से इन्हें NPS में डाल दिया गया था। अब इन्हें वापस OPS में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, कई शिक्षकों ने NPS के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी और उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय ने भी उनके पक्ष में फैसले दिए हैं, जिससे वे भी OPS में लौट सकेंगे। राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, झारखंड जैसे राज्यों ने खुद अपने स्तर पर OPS को बहाल कर दिया है, जिससे वहां के सरकारी शिक्षक अब इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।
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OPS और NPS में क्या फर्क है?
OPS में पेंशन राशि निश्चित होती है जो अंतिम वेतन के हिसाब से तय होती है, जबकि NPS बाजार आधारित होती है और इसमें कोई गारंटी नहीं होती। OPS में महंगाई भत्ता भी शामिल होता है, लेकिन NPS में यह सुविधा नहीं है। OPS में कोई जोखिम नहीं होता, जबकि NPS में मार्केट रिस्क रहता है। परिवार को मिलने वाले लाभ भी OPS में ज्यादा होते हैं जबकि NPS में ये सीमित होते हैं।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर शिक्षकों में काफी उत्साह देखने को मिला है। उत्तर प्रदेश की सीमा शर्मा कहती हैं कि गलती से NPS में डाल दिए जाने के बाद OPS में वापसी से उनकी सारी चिंताएं खत्म हो गई हैं। राजस्थान के रमेश राठी भी राज्य सरकार के इस कदम की सराहना कर रहे हैं क्योंकि इससे रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी की टेंशन कम हो जाएगी।
केंद्र सरकार का रुख
केंद्र सरकार अभी भी OPS लागू करने के पक्ष में नहीं है और उनका मानना है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालीन दबाव पड़ेगा। हालांकि राज्यों को यह छूट दी गई है कि वे अपने स्तर पर OPS लागू कर सकते हैं। 2024 के चुनावों से पहले केंद्र सरकार ने एक हाइब्रिड मॉडल पर विचार करने की बात कही थी, जिसमें NPS में कुछ निश्चित गारंटी भी दी जा सके, लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
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पुरानी पेंशन योजना के फायदे
OPS से वित्तीय सुरक्षा मिलती है क्योंकि जीवनभर सेवा के बाद निश्चित आय मिलती है। बुजुर्गावस्था में आत्मनिर्भर जीवन का भरोसा होता है। महंगाई भत्ते से महंगाई का असर कम किया जा सकता है। कर्मचारी की मृत्यु के बाद परिवार को भी पेंशन का लाभ मिलता है। इससे सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक चिंता खत्म हो जाती है और मानसिक शांति मिलती है।
पुरानी पेंशन योजना की वापसी लाखों शिक्षकों के लिए एक ऐतिहासिक और भावनात्मक निर्णय है। यह केवल आर्थिक लाभ नहीं, बल्कि उस वादे की पूर्ति है जो नौकरी के समय उन्हें दिया गया था। हालांकि अभी भी देश के सभी राज्यों और केंद्र स्तर पर इस योजना को पूरी तरह लागू करना बाकी है, लेकिन यह शुरुआत निश्चित ही एक बड़े बदलाव की दिशा में एक मजबूत कदम है।
Disclaimer
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यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है और इसमें दी गई जानकारी समय-समय पर बदल सकती है। किसी भी पेंशन योजना या सरकारी फैसले से जुड़ी सटीक और अपडेटेड जानकारी के लिए संबंधित सरकारी विभाग या आधिकारिक स्रोत से संपर्क करें।