New Rent Policy – अगर आप अपने घर या प्रॉपर्टी को किराए पर देते हैं, तो अब आपके लिए एक बड़ी राहत की खबर है। केंद्र सरकार ने एक नया नियम लागू किया है, जिसके तहत किराए से मिलने वाली सालाना आय पर TDS की सीमा को बढ़ा दिया गया है। पहले जहां यह लिमिट 2.4 लाख रुपये थी, अब इसे बढ़ाकर 6 लाख रुपये सालाना कर दिया गया है। मतलब साफ है—अब अगर आपका किराया इससे कम है, तो किरायेदार को TDS नहीं काटना होगा और आपको टैक्स रिटर्न के झंझटों से भी राहत मिल जाएगी।
बजट 2025-26 की बड़ी घोषणा
इस बदलाव की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 के दौरान की थी। सरकार का मकसद था कि छोटे मकान मालिकों और किरायेदारों पर से अनुपालन का बोझ कम किया जाए। अब तक 2.4 लाख सालाना यानी 20,000 रुपये महीने से ऊपर के किराए पर TDS कटता था, लेकिन नई सीमा के मुताबिक अब 50,000 रुपये तक के मासिक किराए पर TDS से राहत मिल जाएगी।
आयकर अधिनियम की धारा 194-I का क्या मतलब है?
आयकर अधिनियम की धारा 194-I के अनुसार, अगर किसी संपत्ति से मिलने वाला किराया एक तय सीमा से ऊपर जाता है, तो किरायेदार को TDS काटना होता है। अब यह सीमा 6 लाख रुपये सालाना या 50,000 रुपये मासिक हो गई है। अगर किसी किरायेदार की जिम्मेदारी के तहत सालाना किराया इस सीमा को पार करता है, तो उसे टैक्स कटौती करनी होगी और इसे सरकार को जमा करना होगा।
कब लागू हुआ ये नियम?
ये नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू हो चुका है, यानी चालू वित्त वर्ष की शुरुआत से ही ये बदलाव प्रभाव में आ गया है। इसका फायदा देशभर के उन लाखों मकान मालिकों को मिलेगा जो अपने घर या दुकान को किराए पर देकर कुछ अतिरिक्त आय कमाते हैं, लेकिन जिनका किराया 50,000 रुपये प्रति माह से कम है।
किरायेदारों के लिए क्या है जरूरी?
अगर आप किसी मकान या दुकान के किरायेदार हैं और किराया 50,000 रुपये से ज्यादा है, तो अब TDS काटना आपकी जिम्मेदारी है। अगर आप ऐसा नहीं करते, तो पेनल्टी भी लग सकती है। दूसरी तरफ, अगर किराया 50,000 रुपये से कम है, तो आप इस बोझ से पूरी तरह मुक्त हैं। इसलिए भुगतान से पहले ये नियम जरूर चेक कर लें।
छोटे मकान मालिकों के लिए वरदान
जिन लोगों ने अपने रिटायरमेंट के बाद एक मकान किराए पर देकर आय का जरिया बनाया है, उनके लिए यह नियम एक तरह से वरदान है। न तो अब उन्हें टैक्स कटौती की चिंता करनी पड़ेगी और न ही हर साल TDS रिटर्न फाइल करने का झंझट रहेगा। इससे लाखों लोगों को सालाना हजारों रुपये की टैक्स प्रक्रिया से राहत मिलेगी।
रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगा बूस्ट
इस नियम का एक और बड़ा फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को होगा। जब किराए से कमाई पर टैक्स बोझ घटेगा, तो ज्यादा लोग निवेश के लिए प्रॉपर्टी खरीदने की ओर आकर्षित होंगे। इससे रेंटल मार्केट में तेजी आ सकती है, खासकर मेट्रो शहरों और छोटे कस्बों में जहां किराये पर घर या दुकान की मांग बहुत ज्यादा है।
TDS से जुड़े दस्तावेज और अनुबंध
अगर आप मकान मालिक हैं और आपका किराया 50,000 रुपये से ऊपर है, तो बेहतर है कि अपने किरायेदार के साथ एक लिखित अनुबंध बनाएं जिसमें TDS की बात साफ-साफ लिखी हो। इससे भविष्य में कोई भ्रम या कानूनी दिक्कत नहीं होगी। वहीं, किरायेदारों को चाहिए कि वे समय से TDS काटें और उसे सरकार को जमा करें।
अनुपालन में आई आसान
नया नियम सिर्फ मकान मालिकों के लिए ही नहीं, बल्कि किरायेदारों के लिए भी सुविधा लेकर आया है। पहले जहां छोटे किराएदारों को TDS भरने और फॉर्म 26QC जैसे फॉर्म भरने पड़ते थे, अब 6 लाख रुपये तक के किराये पर इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे न सिर्फ समय बचेगा बल्कि कागजी झंझट भी कम होंगे।
सरकार का यह कदम निश्चित तौर पर छोटे करदाताओं और मकान मालिकों के लिए एक बड़ा आराम लेकर आया है। अब किराया 6 लाख रुपये सालाना तक है, तो आप TDS से फ्री हैं! ये नियम न सिर्फ आयकर अनुपालन को आसान बनाता है, बल्कि टैक्स व्यवस्था को भी ज़्यादा पारदर्शी बनाता है।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है, लेकिन किसी भी वित्तीय या टैक्स संबंधी निर्णय लेने से पहले अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स एडवाइज़र से सलाह जरूर लें। टैक्स नियमों में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं, इसलिए लेटेस्ट अपडेट के लिए आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या सर्कुलर जरूर चेक करें। लेखक इस लेख के आधार पर लिए गए किसी भी निर्णय के परिणाम के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।